
डॉ. राकेश हिन्दी व राजस्थानी में समान रूप से रचना करते थे। डॉ. राकेश ने शोध, समालोचना, उपन्यास, जीवनी, नाटक, कहानी, कविता आदि कई विधाओं और शैलियों में साहित्य रचना की। डॉ. राकेश की एक दर्जन से अधिक हिन्दी, राजस्थानी की पुस्तकें तथा अनूदित पुस्तकें प्रकाशित हैं। डॉ. राकेश, राजस्थान साहित्य अकादमी और राजस्थान भाषा अकादमी से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। साथ ही अन्य अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक सामाजिक संस्थाओं में भी अपना मार्गदर्शक योगदान देते रहे। वे ‘मधुमती’ ‘जागती जोत’ के सम्पादक तथा राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष भी रहे।
डॉ. राकेश सदैव अपनी प्रगतिशील प्रवृत्तियों के साथ समकालीन विशेषतः आधुनिक लेखन व युवा लेखकों से सम्पर्कित रहे।
पिछले वर्ष डॉ. राकेश हमारे बीच नहीं रहे। उन के जीवन के आत्मीय प्रसंगों की स्मृतियाँ और साहित्यिक रचनाएँ हमारी धरोहर हैं। वे सदैव आरणीय एवं स्मरणीय रहेंगे। अभिव्यक्ति के 38वें अंक में उन की दो काव्य रचनाएँ प्रकाशित की गई हैं। उन में से उन की एक राजस्थानी ग़ज़ल यहाँ प्रस्तुत है-
- अम्बिकादत्त
'राजस्थानी ग़ज़ल'
- डॉ. शान्तिलाल भारद्वाज ‘राकेश’
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